India’s Rupee Turns Asia’s Weakest Currency : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेज़ गिरावट, 90 तक गिरने की आशंका
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2025 में 4.3% गिरावट के साथ भारतीय रुपया एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बना; विश्लेषक कहते हैं ट्रेड डील में देरी पर रुपया 90 तक जा सकता है। अमेरिकी टैरिफ, रिकॉर्ड व्यापार घाटा, महंगे सोने के आयात और एफआईआई आउटफ्लो ने रुपये पर दबाव बढ़ाया; 89.66 का ऐतिहासिक निचला स्तर छुआ।
नई दिल्ली / भारतीय रुपये ने 2025 में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा के रूप में जगह बना ली है। वर्ष की शुरुआत से अब तक रुपया 4.3% तक कमजोर हुआ है, जिससे यह इंडोनेशियाई रुपैया (IDR), फिलीपींस पेसो (PHP) और यहां तक कि चीनी युआन (CNY) के मुकाबले भी पिछड़ गया है। विश्लेषकों की मानें तो अगर भारत–अमेरिका व्यापार समझौता जल्द नहीं हुआ, तो रुपया 90 प्रति डॉलर तक फिसल सकता है।
चॉइस वेल्थ के एवीपी अक्षत गर्ग के अनुसार, डॉलर की मजबूती ने अधिकांश एशियाई मुद्राओं पर दबाव डाला है, लेकिन रुपये के कमजोर होने के पीछे घरेलू कारकों की भूमिका ज्यादा बड़ी है। उन्होंने कहा कि “रुपये की दिशा अब घरेलू आर्थिक ताकत से अधिक वैश्विक डॉलर स्ट्रेंथ पर निर्भर है।”
एक्सिस बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तनय दलाल ने बताया कि पिछले कई महीनों से रुपये पर गिरावट का दबाव बढ़ा है। चालू खाता घाटा नियंत्रित रहने के बावजूद कैपिटल आउटफ्लो, खासतौर पर एफआईआई की बिकवाली ने रुपये को कमजोर किया है। CYTD के मुकाबले रुपये में 4% गिरावट दर्ज हुई है, जबकि इसी अवधि में इंडोनेशियाई रुपैया 2.9% और फिलीपींस पेसो 1.3% कमजोर हुए।
21 नवंबर 2025 को रुपया डॉलर के मुकाबले 89.66 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था। आरबीआई ने हाल के हफ्तों में 88.8 स्तर बचाने की कोशिश की, लेकिन विदेशी फंडों की बिकवाली, महंगे सोने के आयात और निर्यात दबाव ने रुपये को और नीचे धकेला। एक्यूट रेटिंग्स के एमडी संकर चक्रवर्ती के अनुसार, “अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों ने भारत के व्यापार घाटे को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है।” अक्टूबर 2025 में 41.7 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड व्यापार घाटा रुपये की गिरावट का बड़ा कारण बना।
जियोजित इन्वेस्टमेंट के वी.के. विजयकुमार ने बताया कि 50% अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत का निर्यात कमजोर हुआ, जबकि सोने की भारी मांग ने आयात बिल बढ़ा दिया। केवल अक्टूबर में सोने की मांग 200% बढ़ी और आयात बिल 14.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि वर्ष के अंत से पहले भारत–अमेरिका व्यापार समझौता हो जाता है और टैरिफ 25% से घटाकर 15–20% किया जाता है, तो रुपया 88 स्तर के करीब वापस आ सकता है। लेकिन देरी की स्थिति में इसके 90 के ऊपर जाने की पूरी संभावना है।